Hamara Pyara Bharat Desh par nibandh : हमारा प्यार भारत देश
Hamara Pyara Bharat Desh par nibandh : प्यारे दोस्तों आज किस आर्टिकल में बात करेंगे हम लोग आपके परीक्षा में पूछे जाने वाले एक स्पेशल निबंध पर यह निबंध क्या है हमारा प्यारा भारत देश। आप इस आर्टिकल को शुरू से लेकर लास्ट तक पड़े क्योंकि इस आर्टिकल में आपको हमारा प्यारा भारत देश के ऊपर निबंध देखने को मिलेगा आर्टिकल में आपको 200 शब्दों में और 300 शब्दों में निबंध देखने को मिलेगा।
Hamara Pyara Bharat Desh par nibandh ( शॉर्ट निबंध )
हमारा देश भारत है। हम इसकी संतान हैं। इस देश का नाम भारत क्यों पड़ा ? इसके लिए अलग-अलग मान्यताएँ हैं। ब्राह्मण पुराण के अनुसार प्रजा का भरण-पोषण करने के कारण मनु भरत कहलाए और मनु द्वारा पालित-पोषित होने के कारण यह देश भारत कहलाया। यह भी प्रचलित है कि दुष्यन्त के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा।
यह है भारत देश हमारा, जिसकी माटी अनोखी मूर्ति है। यह देश हमारा अव्वल दर्जे वाला है, हर दिल का ये रखवाला है। इस देश की माटी ने ऋषियों को तपस्या करने का दीदार दिया है, इस देश में नारद ने गूँजाया मधुमय गान जो कभी था। यह देश हमारा अति भव्य पुरातन है, जहाँ बनते सर्वोत्तम सामान सभी थे। यह देश हमारा भारत है, जो पूर्ण ज्ञान का शुभ्र निकेतन है। इस देश में बुद्धदेव की करुणा चेतना बरसी, जो इस देश को उत्कर्षमयी बनाती है। यह देश हमारा है, हमें प्राणों से प्यारा है।
Hamara Pyara Bharat Desh ko par nibandh ( 100 शब्दो में )
हमारा भारत देश: यह है भारत देश हमारा, जिसकी माटी अनोखी मूर्ति है। यह देश हमारा अव्वल दर्जे वाला है, हर दिल का ये रखवाला है। इस देश की माटी ने ऋषियों को तपस्या करने का दीदार दिया है, इस देश में नारद ने गूँजाया मधुमय गान जो कभी था। यह देश हमारा अति भव्य पुरातन है, जहाँ बनते सर्वोत्तम सामान सभी थे। यह देश हमारा भारत है, जो पूर्ण ज्ञान का शुभ्र निकेतन है। इस देश में बुद्धदेव की करुणा चेतना बरसी, जो इस देश को उत्कर्षमयी बनाती है। यह देश हमारा है, हमें प्राणों से प्यारा है।
हमारा देश भारत है। हम इसकी संतान हैं। इस देश का नाम भारत क्यों पड़ा ? इसके लिए अलग-अलग मान्यताएँ हैं। ब्राह्मण पुराण के अनुसार प्रजा का भरण-पोषण करने के कारण मनु भरत कहलाए और मनु द्वारा पालित-पोषित होने के कारण यह देश भारत कहलाया। यह भी प्रचलित है कि दुष्यन्त के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा।
भारत की प्राकृतिक बनावट व सम्पदा अद्भुत है। लगता है कि प्रकृति देवी ने स्वयं इसकी रचना की है। उत्तर में बर्फ से ढकी हिमालय की पर्वत-श्रेणियाँ हैं जो इस देश का मुकुट बनी हुई हैं। दक्षिण में हिन्द महासागर हिलोरें लेता है। ऐसा लगता है जैसे वह इस देश के चरणों को धो रहा है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ- गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, रावी, झेलम आदि सदैव जलराशि से पूर्ण रहती हैं और देश की धरती को शस्य श्यामल बनाती हैं.
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Hamara Pyara Bharat Desh par nibandh ( 200 शब्दो में )
संकेत बिंदु ( प्रस्तावना, प्राकृतिक बनावट और संपदा, गौरव पूर्ण अतीत, उपसंहार )
Hamara Pyara Bharat Desh
प्रस्तावना : हमारा देश भारत है। हम इसकी संतान हैं। इस देश का नाम भारत क्यों पड़ा ? इसके लिए अलग-अलग मान्यताएँ हैं। ब्राह्मण पुराण के अनुसार प्रजा का भरण-पोषण करने के कारण मनु भरत कहलाए और मनु द्वारा पालित-पोषित होने के कारण यह देश भारत कहलाया। यह भी प्रचलित है कि दुष्यन्त के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा।
हमारा भारत देश: यह है भारत देश हमारा, जिसकी माटी अनोखी मूर्ति है। यह देश हमारा अव्वल दर्जे वाला है, हर दिल का ये रखवाला है। इस देश की माटी ने ऋषियों को तपस्या करने का दीदार दिया है, इस देश में नारद ने गूँजाया मधुमय गान जो कभी था। यह देश हमारा अति भव्य पुरातन है, जहाँ बनते सर्वोत्तम सामान सभी थे। यह देश हमारा भारत है, जो पूर्ण ज्ञान का शुभ्र निकेतन है। इस देश में बुद्धदेव की करुणा चेतना बरसी, जो इस देश को उत्कर्षमयी बनाती है। यह देश हमारा है, हमें प्राणों से प्यारा है।
प्राकृतिक बनावट व संपदा : भारत की प्राकृतिक बनावट व सम्पदा अद्भुत है। लगता है कि प्रकृति देवी ने स्वयं इसकी रचना की है। उत्तर में बर्फ से ढकी हिमालय की पर्वत-श्रेणियाँ हैं जो इस देश का मुकुट बनी हुई हैं। दक्षिण में हिन्द महासागर हिलोरें लेता है। ऐसा लगता है जैसे वह इस देश के चरणों को धो रहा है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ- गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, रावी, झेलम आदि सदैव जलराशि से पूर्ण रहती हैं और देश की धरती को शस्य श्यामल बनाती हैं। गंगा, यमुना और सतलुज के उपजाऊ मैदान दुनिया में दूसरे नहीं हैं। विभिन्न ऋतुएँ इसकी प्राकृतिक छटा को निखारती रहती है। ऐसा लगता है कि भारत देवी हमेशा अपना परिधान बदलती है और नित्य नये सुगन्धित आवरण से अपनी सज्जा करती रहती है। यह हमारा सौभाग्य है कि प्रकृति की इस क्रीड़ास्थली भारत में हमारा जन्म हुआ है।
गौरव पूर्ण अतीत : हमारे देश का अतीत बहुत गौरवपूर्ण रहा है। इस देश में बड़े-बड़े ज्ञानी-ध्यानी, ऋषि-मुनि और महात्मा हुए हैं जिन्होंने दुनिया को ज्ञान-सूर्य का दर्शन कराया। संसार में सभ्यता और संस्कृति प्रवर्तन हमारे यहाँ से हुआ हैं । हमारे देश मे महावीर ,गौतम बुद्ध,मर्यादा पुरुषोत्तम राम ,गितयोगी कृष्ण जैसे महापुरुष हुए । यह बड़े -बड़े कवियों -तुलसी ,सूरदास,कबीर ,रहीम ,रसखान ,बिहारी भूषण जयशंकर प्रसाद ,मैथिलीशरण गुप्ता ,निराला और पंत-की जन्मभूमि रही है । हमारे देश के प्रचुर धन -धान्य से देश -विदेश सभी लाभाविन्त होते रहे है।
उपसंहार : ऐसे गौरवपूर्ण देश के वासी होने के नाते हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम इसकी उन्नति के लिए सतत् सजग रहें। आपसी फूट और वैमनस्य की जड़ें उखाड़ कर फेंक दें। भाषा और संस्कृति के झगड़े इस देश की विरासत नहीं हैं। विदेशियों ने अपनी कूटनीति के कारण देश को खंड-खंड करना चाहा है, हमें एकता का बिगुल बजाकर भारत को संसार का शिरोमणि बनाना है।
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Hamara Pyara Bharat Desh par nibandh ( 300 शब्दो में )
संकेत बिंदु ( परिचय , प्राकृतिक बनावट और संपदा, गौरव पूर्ण अतीत, धर्मिक सहिष्णुता और सौहार्च: उपसंहार )
Hamara Pyara Bharat Desh
प्रस्तावना : हमारा देश भारत है। हम इसकी संतान हैं। इस देश का नाम भारत क्यों पड़ा ? इसके लिए अलग-अलग मान्यताएँ हैं। ब्राह्मण पुराण के अनुसार प्रजा का भरण-पोषण करने के कारण मनु भरत कहलाए और मनु द्वारा पालित-पोषित होने के कारण यह देश भारत कहलाया। यह भी प्रचलित है कि दुष्यन्त के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा।
हमारा भारत देश: यह है भारत देश हमारा, जिसकी माटी अनोखी मूर्ति है। यह देश हमारा अव्वल दर्जे वाला है, हर दिल का ये रखवाला है। इस देश की माटी ने ऋषियों को तपस्या करने का दीदार दिया है, इस देश में नारद ने गूँजाया मधुमय गान जो कभी था। यह देश हमारा अति भव्य पुरातन है, जहाँ बनते सर्वोत्तम सामान सभी थे। यह देश हमारा भारत है, जो पूर्ण ज्ञान का शुभ्र निकेतन है। इस देश में बुद्धदेव की करुणा चेतना बरसी, जो इस देश को उत्कर्षमयी बनाती है। यह देश हमारा है, हमें प्राणों से प्यारा है।
प्राकृतिक बनावट व संपदा : भारत की प्राकृतिक बनावट व सम्पदा अद्भुत है। लगता है कि प्रकृति देवी ने स्वयं इसकी रचना की है। उत्तर में बर्फ से ढकी हिमालय की पर्वत-श्रेणियाँ हैं जो इस देश का मुकुट बनी हुई हैं। दक्षिण में हिन्द महासागर हिलोरें लेता है। ऐसा लगता है जैसे वह इस देश के चरणों को धो रहा है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ- गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, रावी, झेलम आदि सदैव जलराशि से पूर्ण रहती हैं और देश की धरती को शस्य श्यामल बनाती हैं। गंगा, यमुना और सतलुज के उपजाऊ मैदान दुनिया में दूसरे नहीं हैं। विभिन्न ऋतुएँ इसकी प्राकृतिक छटा को निखारती रहती है। ऐसा लगता है कि भारत देवी हमेशा अपना परिधान बदलती है और नित्य नये सुगन्धित आवरण से अपनी सज्जा करती रहती है। यह हमारा सौभाग्य है कि प्रकृति की इस क्रीड़ास्थली भारत में हमारा जन्म हुआ है।
Hamara Pyara Bharat Desh
गौरव पूर्ण अतीत : हमारे देश का अतीत बहुत गौरवपूर्ण रहा है। इस देश में बड़े-बड़े ज्ञानी-ध्यानी, ऋषि-मुनि और महात्मा हुए हैं जिन्होंने दुनिया को ज्ञान-सूर्य का दर्शन कराया। संसार में सभ्यता और संस्कृति प्रवर्तन हमारे यहाँ से हुआ हैं । हमारे देश मे महावीर ,गौतम बुद्ध,मर्यादा पुरुषोत्तम राम ,गितयोगी कृष्ण जैसे महापुरुष हुए । यह बड़े -बड़े कवियों -तुलसी ,सूरदास,कबीर ,रहीम ,रसखान ,बिहारी भूषण जयशंकर प्रसाद ,मैथिलीशरण गुप्ता ,निराला और पंत-की जन्मभूमि रही है । हमारे देश के प्रचुर धन -धान्य से देश -विदेश सभी लाभाविन्त होते रहे है।
धर्मिक सहिष्णुता और सौहार्च: यहाँ कई जातियाँ आईं और इसकी धरती पर हिलमिल गई। हमारे देश में विभिन्न जाति, वर्ण व संप्रदाय के लोग मिलकर रहते हैं। कहीं मन्दिरों के घण्टे घड़ियाल बज रहे हैं, तो कहीं मस्जिदों में अजान दी जा रही है। यह विविध धर्मों का देश है। धार्मिक सहिष्णुता और सौहार्द का जैसा संगम यहाँ देखने की मिलता है, वैसा अन्यत्र मिलना दुर्लभ है। संसार के इतिहास में कई सभ्यताएँ पनपीं और अस्त हो गई, लेकिन भारत की सभ्यता अभी तक मुखर है।
उपसंहार : ऐसे गौरवपूर्ण देश के वासी होने के नाते हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम इसकी उन्नति के लिए सतत् सजग रहें। आपसी फूट और वैमनस्य की जड़ें उखाड़ कर फेंक दें। भाषा और संस्कृति के झगड़े इस देश की विरासत नहीं हैं। विदेशियों ने अपनी कूटनीति के कारण देश को खंड-खंड करना चाहा है, हमें एकता का बिगुल बजाकर भारत को संसार का शिरोमणि बनाना है।
Hamara Pyara Bharat Desh
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