Birsa munda par nibandh

Birsa munda par nibandh :भगवान बिरसा मुंडा पर निबंध

Birsa munda par nibandh : भगवान बिरसा आदिवासी जनता में बहुत ही लोकप्रिय आजादी की लड़ाई में उनका योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है। भगवान बिरसा मुंडा का जन्म खूंटी के अड़की प्रखंड स्थित होली हाथों में 15 नवंबर 1857 ई को हुआ था। बिरसा मुंडा का जन्म एक अत्यंत निर्धन परिवार में हुआ था। बिरसा मुंडा ने अपनी स्कूल की शिक्षा सलगा स्कूल से की तथा अपनी प्राथमिक शिक्षा के बाद अपर प्राइमरी की शिक्षा के लिए बुंर्जु मिशन स्कूल में अपना दाखिला लिया। भूमि आंदोलन का समय इनका मिशनरी धर्म के लोगों से मतभेद हो गया जिसके कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया फिर वह चाय भाषा में रहकर उन्होंने अपनी उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षा प्राप्त की।

Birsa munda par nibandh
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आज के इस आर्टिकल में हम लोग भगवान बिरसा मुंडा जी पर एक निबंध पर चर्चा करेंगे। इस पोस्ट पर हम लोग बिरसा मुंडा जीवन परिचय, बचपन एवं शिक्षा, कार्य एवं उपदेश, अंग्रेजों का विरोध, उपसंहार संकेत बिंदुओं पर आज के आर्टिकल में चार्ज करेंगे।

Birsa munda par nibandh – ( 200 से 300 शब्दों में

जीवन परिचय – भगवान बिरसा मुंडा का जन्म खूंटी के अड़की प्रखंड स्थित उलहाथू में 15 नवंबर 1875 ई को हुआ था उनके माता का नाम कमी और पिता का नाम सुगना मुंडा था इनका जन्म अत्यंत गरीब परिवार में हुआ था। इनके पिता ने अपनी गरीबी के कारण ईसाई मत स्वीकार कर लिया था । बचपन में बिरसा मुंडा ईसाई थे।

Birsa munda par nibandh

बचपन एवं शिक्षा -Birsa munda par nibandh

बिरसा मुंडा जी ने अपनी शिक्षा की शुरुआत तथा अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद अपर प्राइमरी की शिक्षा के लिए बुंर्जु मिशन स्कूल में दाखिला लिया परंतु भूमि आंदोलन के समय इनका मिशनरियों से मतभेद हो गया जिसके बाद उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया फिर बिरसा मुंडा ने अपनी उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा चाईबासा में रहकर प्राप्त की।

कार्य एवं उपदेश -Birsa munda par nibandh

उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद बिरसा मुंडा अपनी आजीविका के लिए गैरबेड़ा के स्वामी परिवार में नौकरी करने लगे। इनके मालिक का नाम आनंद पांडे था आनंद पांडे सनातन धर्म मानते थे तथा वह वैष्णव थे। आनंद पांडे के संपर्क में रहते हुए बिरसा मुंडा बिरसा मुंडा पूर्णत: वैष्णव हो गए। उन्होंने जानू खड़ाऊ और हल्दी के रंग में रंगीन धोती पहनना शुरू कर दिए। इसी दौरान वह गांव के लोगों की सेवा भी।

बिरसा मुंडा ने गोवध रुकवाया साथी साथ तुलसी की पूजा भी करती और माथे पर चंदन टीका लगाते। बिरसा मुंडा एक विशाल आम के पेड़ के नीचे बैठकर लोगों को दवा देते और उपदेश भी देते है। जिसके कारण उन्हें लोग भगवान बिरसा कहने लगे।

अंग्रेजों का विरोध -Birsa munda par nibandh

शुरुआत में बिरसा मुंडा का आंदोलन सुधारवादी आंदोलन था किंतु बाद में यह आंदोलन अंग्रेजों से स्वतंत्रता की लड़ाई के रूप में परिवर्तित हो गई। भगवान बिरसा ने अंग्रेजों के साथ आदमी साहस एवं अपूर्ण स्वर के साथ संघर्ष किया साथी आदिवासी जनता के साथ अंग्रेजों के दमनकारी व्यवहार के विरोध में उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया। बिरसा मुंडा ने एक निर्विवाद नेता के रूप में आदिवासियों को संगठित किया। आंदोलन के दौरान बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया गया। परंतु इनके जेल में रहने के बाद भी इनके अनुयायियों के द्वारा इनके विचारों का प्रचार – प्रसार होता रहा । 1897 ईस्वी को बिरसा मुंडा को जेल से रिहा कर दिया गया

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